भारत का एस-400 वायु सुरक्षा प्रणाली: एक मजबूत सुरक्षा कवच

हाल के सालों में, भारत ने अपनी हवा में सुरक्षा करने की ताकत को बहुत बढ़ाया है, और इसमें रूस से मिला एस-400 ‘ट्रायम्फ’ हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली एक खास कदम रहा है। यह प्रणाली सिर्फ भारत की सुरक्षा को मजबूत नहीं करती, बल्कि आसपास के देशों की ताकत के हिसाब में भी एक जरूरी रोल निभाती है।

एस-400 क्या है?

एस-400 रूस ने बनाई एक दूर तक हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है। इसे दुनिया की सबसे अच्छी हवा में सुरक्षा करने वाली प्रणालियों में से एक मानते हैं, जो दुश्मन के हवाई जहाजों, छोटे उड़ने वाले यंत्रों (ड्रोन), उड़ने वाली मिसाइलों (क्रूज मिसाइल) और एक जगह से दूसरी जगह मार करने वाली मिसाइलों (बैलिस्टिक मिसाइल) को पहचान सकती है, उनका पीछा कर सकती है और उन्हें गिरा सकती है। नाटो इसे SA-21 ‘ग्रोलर’ भी कहता है।

एस-400 की खास बातें:

  • दूर तक मार करने की ताकत: एस-400 अलग-अलग तरह की मिसाइलें इस्तेमाल करता है, जिनकी मार करने की दूरी 40 किमी से लेकर 400 किमी तक है। यह कम दूरी की उड़ने वाली मिसाइलों से लेकर दूर तक बम गिराने वाले हवाई जहाजों तक को निशाना बना सकता है।
  • एक साथ कई लक्ष्यों पर नजर और हमला: यह प्रणाली एक ही समय में 300 लक्ष्यों पर नजर रख सकती है और 36 लक्ष्यों पर हमला कर सकती है।
  • अच्छा रडार सिस्टम: एस-400 में आधुनिक रडार लगे हैं जो चुपके से आने वाले विमानों और नीचे से उड़ने वाली क्रूज मिसाइलों को भी पहचान सकते हैं। इसका मुख्य रडार 600 किलोमीटर तक की दूरी पर लक्ष्यों को पहचान सकता है।
  • जल्दी से तैयार: यह प्रणाली बहुत आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाई जा सकती है और इसे ट्रकों पर लगाया गया है, जिससे इसे कुछ ही मिनटों में लड़ाई के लिए तैयार किया जा सकता है और जरूरत के हिसाब से जल्दी से कहीं भी लगाया जा सकता है।
  • अलग-अलग तरह की मिसाइलें: एस-400 में चार अलग-अलग तरह की मिसाइलें होती हैं, जो अलग-अलग दूरी और ऊंचाई पर लक्ष्यों को मार सकती हैं:
    • 40N6: 400 किमी तक की दूरी, खास तौर पर AWACS जैसे दूर के विमानों के लिए।
    • 48N6: 250 किमी तक की दूरी, लड़ाकू विमानों और क्रूज मिसाइलों के लिए।
    • 9M96E2: 120 किमी तक की दूरी, तेज चलने वाले लक्ष्यों के लिए।
    • 9M96E: 40 किमी तक की दूरी, पास के खतरों के लिए।
  • एक साथ कंट्रोल: एस-400 को एक कंट्रोल सेंटर से चलाया जाता है, जो अलग-अलग रडार और मिसाइल छोड़ने वाली इकाइयों को आपस में जोड़ता है। इसे दूसरी हवा में सुरक्षा करने वाली प्रणालियों के साथ भी जोड़ा जा सकता है, जिससे सुरक्षा की कई परतें बन जाती हैं।

भारत के लिए एस-400 का महत्व:

भारत ने अक्टूबर 2018 में रूस के साथ पांच एस-400 सिस्टम खरीदने का बड़ा समझौता किया था। अब तक तीन सिस्टम भारत को मिल चुके हैं और उन्हें जरूरी जगहों पर लगा भी दिया गया है। एस-400 भारत की हवा में सुरक्षा करने की ताकत को कई तरह से बढ़ाता है:

  • बड़े हवाई क्षेत्र की सुरक्षा: इसकी दूर तक मार करने की ताकत भारत को अपने हवाई क्षेत्र के बड़े हिस्से की सुरक्षा करने में मदद करती है, जिसमें जरूरी फौजी और आम लोगों की जगहें शामिल हैं।
  • दुश्मन के हवाई हमले को रोकना: एस-400 की ताकत दुश्मन के लड़ाकू विमानों, बमवर्षकों और दूसरे हवाई साधनों को भारत के हवाई क्षेत्र में आने से डराती है।
  • मिसाइलों से बचाव: यह प्रणाली न सिर्फ विमानों बल्कि एक जगह से दूसरी जगह मार करने वाली और उड़ने वाली मिसाइलों को भी गिरा सकती है, जो भारत के लिए एक बड़ी सुरक्षा की चुनौती है।
  • रणनीतिक फायदा: एस-400 को लगाने से भारत को अपने पड़ोसी देशों के मुकाबले एक जरूरी रणनीतिक फायदा मिलता है, खासकर हवा में अपनी ताकत दिखाने के मामले में।

ऑपरेशन सिंदूर में एस-400 का रोल:

हाल ही में, मई 2025 में, भारत ने पाकिस्तान द्वारा सीमा के पास किए गए मिसाइल और ड्रोन हमलों का सफलतापूर्वक जवाब दिया। इस ऑपरेशन, जिसे ‘सिंदूर’ नाम दिया गया, में भारत के एस-400 हवा में सुरक्षा करने वाली प्रणाली ने जरूरी रोल निभाया। इस प्रणाली ने पाकिस्तान की उड़ने वाली मिसाइलों और हथियार वाले छोटे उड़ने वाले यंत्रों को हवा में ही रोककर गिराने में बड़ी मदद की, जिससे भारतीय वायुसेना को एक जरूरी फायदा मिला।

आखिर में:

भारत का एस-400 हवा में सुरक्षा करने वाला सिस्टम एक ताकतवर और कई काम करने वाला हथियार है जो देश की सुरक्षा व्यवस्था को बहुत मजबूत करता है। इसकी अच्छी क्षमताएं इसे अलग-अलग तरह के हवाई खतरों से लड़ने में मदद करती हैं, और यह भारत को अपने हवाई क्षेत्र और जरूरी चीजों की अच्छी तरह से सुरक्षा करने की ताकत देता है। ऑपरेशन सिंदूर में इसकी सफलता ने इसकी ताकत और भारत की सुरक्षा के लिए इसके महत्व को और भी साफ कर दिया है। आने वाले सालों में, एस-400 भारत की पूरी सुरक्षा योजना का एक जरूरी हिस्सा बना रहेगा।

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